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हिन्दी सीखें–शब्द रचना

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संधि (Union of Two Sounds)

सन्धि – दो वर्णों के मेल को भाषा में सन्धि कहा जाता है। दो शब्दों में सन्धि के समय पहले शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मिल जाते हैं। जैसे -

परम + आत्मा =  परमात्मा

यहाँ पर परम शब्द का अन्तिम वर्ण अ है और आत्मा शब्द का प्रथम वर्ण आ है। दोनों के मिलने से आ बना -

अ + आ = आ

सन्धि के निम्नलिखित तीन प्रकार होते हैं -

  • स्वर सन्धि
  • व्यञ्जन सन्धि
  • विसर्ग सन्धि

स्वर सन्धि – जब मिलनेवाले दो शब्दों में से पहले शब्द का अन्त का और दूसरे शब्द का आरम्भ के स्वर का मेल हो तो इस प्रकार होनेवाली सन्धि को स्वर सन्धि कहते हैं। जैसे -

विद्या + आलय = विद्यालय आ + आ = आ
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी आ + अ = आ
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र इ + इ = ई
यदि + अपि = यद्अपि इ + अ = य
इति + आदि = इत्यादि इ + आ = या
सु + आगत = स्वागत उ + आ = वा
पर + उपकार = परोपकार अ + उ = ओ
महा + ऋषि = महर्षि आ + ऋ = अर्
सदा + एव = सदैव आ + ए = ऐ
ने + अन = नयन ए + अ = अय्
पो + अन = पवन ओ + अ = अव्
नै + अक = नायक ऐ + अ = आय्

व्यञ्जन सन्धि – जब मिलने वाले दो शब्दों में से पहले शब्द के अन्त में व्यञ्जन का और दूसरे शब्द का आरम्भ के स्वर या व्यजन का मेल हो तो इस प्रकार होनेवाली सन्धि को व्यञ्जन सन्धि कहते हैं। जैसे -

दिक् + अंबर = दिगंबर
सत् + आचार = सदाचार
सत् + मार्ग = सन्मार्ग
जगत् + ईश्वर = जगदीश्वर
सत् + जन = सज्जन
दिक् + गज = दिग्गज
उत् + ज्वल = उज्जवल
जगत् + गुरू = जगद्गुरू
उत् + लास  = उल्लास
उत् + घाटन = उद्घाटन
उद् + साह = उत्साह
शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
सद् + कार = सत्कार
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
सत् + भावना = सद्भावना

विसर्ग सन्धि – जब मिलने वाले दो शब्दों में से पहले शब्द के अन्त में विसर्ग (:) का और दूसरे शब्द का आरम्भ में स्वर या व्यञ्जन का मेल हो तो इस प्रकार होनेवाली सन्धि को विसर्ग (:) सन्धि कहते हैं। जैसे –

नि: + संदेह = निस्संदेह
मन: + योग = मनोयोग
तप: + वन = तपोवन
दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
दुः + गुण = दुर्गुण
नि: + तेज = निस्तेज
मन: + हर = मनोहर
नि: + कण्टक = निष्कण्टक
पुन: + आगमन = पुनरागमन
नि: + फल = निष्फल
अन्त: + दशा = अन्तर्दशा
रज: + गुण = रजोगुण
नि: + आशा = निराशा

याद रखने योग बात – सन्धि, तत्सम और तद्भव शब्दों के साथ अन्य शब्दों में भी होती है। जैसे -

अब + ही = अभी
जो + ने = जिसने
जब + ही = जभी
वह + ने = उसने
तब + ही = तभी
वे + ने = उन्होंने
कब +  ही = कभी
कौन + ने = किसने
यह + ही = यही
हर + एक =  हरेक
यहाँ + ही = यहीं
वहाँ + ही = वहीं
कहाँ + ही = कहीं
यह + ने = इसने
इन + ने = इन्होंने
कान + कटा = कनकटा

हिन्दी सीखें–शब्द समूह और एक शब्द (One Word Substitution)

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भाषा में कथन को संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाने के लिए एक शब्द (One Word)  का प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द-समूहों के लिए एक शब्द नीचे दिए जा रहे हैं -

शब्द – समूह एक शब्द
जो पढ़ा न जा सके अपठनीय
जिस का कोई अन्त न हो अनन्त
जो कभी बूढ़ा न हो अजर
जिसका कोई न हो अनाथ
जिसका कोई आरम्भ न हो अनादि
जिसका विश्वास न किया जा सके अविश्वसनीय
जो कहा न जा सके अकथनीय
जिसकी कोई उपमा न दी जा सके अनुपम
जिसको जीता न जा सके अजेय
किसी नई वस्तु की खोज करने वाला अविष्कारक
जो आचरण न्याय के विरुद्ध हो अन्याय
थोड़ा जानने वाला अल्पज्ञ
जिससे जान-पहचान न हो अपरिचित
दोपहर बाद का समय अपराह्न
बड़ा भाई अग्रज
जो दिखाई न दे अदृश्य/अगोचर
ईश्वर में विश्वास करनेवाला आस्तिक
जो अवसर के अनुसार बदल जाता हो अवसरवादी
अण्डे से जन्म लेने वाला अण्डज
जिसकी कोई सीमा न हो असीम
छोटा भाई अनुज
जिसका कोई इलाज न हो असाध्य
सूर्योदय से पूर्व का समय उषा
जिस पर उपकार किया गया हो उपकृत
जिस भूमि में कुछ भी पैदा न होता हो ऊसर
दूसरों से जलने वाला ईर्ष्यालु
अपनी इच्छा से किया जाने वाला ऐच्छिक
इतिहास से संबन्धित ऐतिहासिक
उपकार को याद रखने वाला कृतज्ञ
उपकार को भूल जाने वाला कृतध्न
बहुत ऊँचा/आकाश को चूमने वाला गगनचुंबी
चुगली करने वाला चुगलखोर
जल में निवास करने वाले जीव-जन्तु जलचर
जो किसी का पक्ष न ले तटस्थ
दस वर्ष का समय दशक/दशाब्दी
दूर की सोचनेवाला दूरदर्शी
गोद लिया हुआ दत्तक
जो कठिनाई से प्राप्त हो दुर्लभ
जहाँ जाना कठिन हो दुर्गम
प्रतिदिन होनेवाला दैनिक
जो कठिनाई से समझ में आये दुर्बोध
किसी अनुचित बात के लिए हठ करना दुराग्रह
धर्म में लीन रहनेवाला धर्मात्मा
जिसके पास बहुत धन हो धनाढ्य
जिसमें ममता न हो निर्मम
आकाश में उड़नेवाला पक्षी नभचर
निन्दा करनेवाला निन्दक
जिसमें लज्जा न हो निर्लज्ज
जिसका ईश्वर में विश्वास न हो नास्तिक
जिसका कोई आकार न हो निराकार
जो उत्तर न दे सके निरुत्तर
जो मांस न खाता हो निरामिष
दूसरे का उपकार करने वाला परोपकारी
पति में आस्था रखने वाली स्त्री पतिव्रता
दोपहर से पहले का समय पूर्वाह्न
विदेश में रहने वाला प्रवासी
फल खाकर रहने वाला फलाहारी
मांसवाला भोजन मांसाहार
दोपहर का समय मध्याह्न
कम खर्च करने वाला मितव्ययी
मीठा बोलने वाला मृदुभाषी
जिसे कानों से सुनायी न दे बधिर
जिसके किसी अङ्ग में खराबी हो विकलाङ्ग
जिसकी पत्नी मर गई हो विधुर
वर्ष में होनेवाला वार्षिक
जिसका पति मर गया हो विधवा
अधिक बोलनेवाला वाचाल
लालच करनेवाला लालची
मांसरहित भोजन शाकाहार
शरण में आया हुआ शरणागत
सौ वर्ष का समय शताब्दी
शरण चाहनेवाला शरणार्थी
सभ्य पुरुषों का आचरण शिष्टाचार
सब कुछ जानने वाला सर्वज्ञ
सप्ताह में होने वाला साप्ताहिक
अच्छे आचरण वाला सदाचारी
साथ पढ़ने वाला सहपाठी
आसानी से प्राप्त होने वाला सुलभ
सगा भाई/बहन सहोदर
कठोर हृदय वाला निष्ठुर
ईश्वर में विश्वास न करने वाला नास्तिक
जिसके पास कोई हथियार न हो निहत्था
जिसकी आशा टूट चुकी हो हताश
हँसी उत्पन्न करने वाला हास्यास्पद
सूर्य निकलने का समय सूर्योदय
सूर्य छिपने का समय सूर्यास्त
जो स्वयं पर निर्भर हो स्वावलंबी

हिन्दी सीखें–तत्सम तथा तद्भव शब्द

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तद्भव शब्द और उनके तत्सम रूपों की सूची

तत्सम तद्भव तत्सम तद्भव
अँधेरा अन्धकार पत्थर प्रस्तर
अचरज आश्चर्य पत्ता पत्र
अगम अगम्य नाक नासिका
अमोल अमूल्य प्यास पिपासा
आग अग्नि पंख पक्ष
आम आम्र बच्चा वत्स
आधा अर्ध पाँव पाद
ऊँचा उच्च ब्याह विवाह
काम कर्म बहू वधू
कीड़ा कीट भाप वाष्प
कबूतर कपोत बूँद बिन्दु
कुआँ कूप मक्खी मक्षिका
खेत क्षेत्र भीख भिक्षा
गधा गर्दभ मामा मातुल
गाँव ग्राम भाई भ्राता
घड़ा घट मुँह मुख
चाँद चन्द्र माथा मस्तक
घी घृत सीख शिक्षा
जीभ जिह्वा मीठा मिष्ट
छेद छिद्र सूखा शुष्क
दाँत दन्त रात रात्रि
दही दधि हिरन हरिण
दूध दुग्ध सच सत्य
दीया दीप हाथ हस्त
नया नव हाथी हस्ती
धुआँ धूम्र साँप सर्प

हिन्दी सीखें–विलोम शब्द (Antonyms)

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किसी शब्द के उल्टे अर्थ का बोध कराने वाले शब्द को विलोम या विपरीतार्थक शब्द कहा जाता है।

ध्यान रखें – यह आवश्यक है कि विलोम शब्द लिखते समय तत्सम शब्द के लिए तत्सम और तद्भव शब्द के लिए तद्भव शब्द का प्रयोग ही करें। यह आवश्यक नहीं के प्रत्येक शब्द का विलोम शब्द भी हो।

याद करने के लिए कुछ शब्दों के विलोम शब्द नीचे दिये जा रहे हैं -

शब्द विलोम शब्द विलोम
अमृत विष घृणा प्रेम
जीवन मृत्यु मोटा पतला
आदर निरादर गुप्त प्रकट
झूठ सच यश अपयश
अस्त उदय गुरू लघु
थोड़ा अधिक योगी भोगी
आस्तिक नास्तिक गुण दोष/अवगुण
निरक्षर साक्षर राग द्वेष
आदान प्रदान चर अचर
निद्रा जागरण रक्षक भक्षक
अन्त आदि चालाक सरल
निर्यात आयात लघु दीर्घ
आशा निराशा छोटा बड़ा
नीच ऊँच लाभ हानि
अच्छा बुरा जन्म मरण
निन्दा स्तुति लौकिक अलौकिक
अनाथ सनाथ जय/विजय पराजय
निर्दय सदय चल अचल
आकाश पाताल विस्तृत संक्षिप्त
पूर्व पश्चिम वीर कायर
अर्थ अनर्थ जड़ चेतन
पूरा अधूरा विधवा सधवा
अन्धकार प्रकाश जर अजर
प्राचीन नवीन संयोग वियोग
इधर उधर जीत हार
प्रतिकूल अनुकूल संग्रह त्याग
इच्छा अनिच्छा छाया धूप
पण्डित मूर्ख सरल कठिन
उपकार अपकार दानी कृपण
पुरस्कार दण्ड सम विषम
ऊँच नीच दरिद्र धनी
प्रलय सृष्टि सर्दी गर्मी
उत्थान पतन दिन रात
प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सत्य असत्य
उत्तर प्रश्न सार्थक निरर्थक
प्रेम घृणा दीर्घ ह्रस्व
उत्तम अधम सुख दुःख
पाप पुण्य दूषित स्वच्छ
उपस्थित अनुपस्थित सुलभ दुर्लभ
पेय अपेय देश विदेश
एकता अनेकता सुबह शाम
बन्धन मोक्ष तीव्र मन्द
एक अनेक सच्चा झूठा
बाहर भीतर सक्रिय निष्क्रिय
कृतज्ञ कृतध्न सामान्य विशिष्ट
बुराई भलाई साधारण असाधारण
कोमल कठोर स्वर्ग नरक
भीरू साहस स्थूल सूक्ष्म
भूत भविष्य स्वाधीन पराधीन
कड़वा मीठा स्वामी सेवक
भारी हल्का स्वतन्त्र परतन्त्र
कठिन सरल हित अहित
महँगा सस्ता हर्ष विषाद
कच्चा पक्का हिंसा अहिंसा
मुख्य गौण हाँ नहीं
कटु मधुर हँसना रोना
मानव दानव शाप आशीर्वाद
खरा खोटा शुद्ध अशुद्ध
ज्ञान अज्ञान ज्ञात अज्ञात

हिन्दी सीखें–समास (Compound Words)

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समास— दो शब्दों के मेल से बने शब्द को समास कहते हैं।

जैसे – हिमकण का अर्थ है हिम के कण

समास-विग्रह—सभी पदों को अलग-अलग करने की विधि को समास-विग्रह कहा जाता है।

जैसे – पेटदर्द = पेट में दर्द

जीवन-स्वामी = जीवन का स्वामी

भेद — समास के छे (Six) भेद बताये जाते हैं ।

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास
  5. बहुब्रीहि समास
  6. द्ंवद्व समास

अव्ययीभाव समास – पहला पद अव्यय और दूसरा पद संज्ञा हो तो समास होने पर दोनो पद अव्यय हो जाते हैं।

जैसे – प्रतिदिन, एकाएक आदि

तत्पुरुष समास – इसका पहला पद विशेषण का और दूसरा पद प्रधान होता है। इसमें सभी छह (Six) कारकों की विभक्तियों – को, से, के लिये, का, की, के, में पर, का लोप हो जाता है।

तत्पुरुष समास भी छह (Six) प्रकार का होता है-

  • कर्म तत्पुरुष—इसमें कर्म कारक के चिह्न को का लोप हो जाता है।

जैसे— गगन को चूमनेवाला – गगनचुंबी,

परलोक को जाना परलोकगमन

  • करण तत्पुरुष—इसमें करण कारक के चिह्न से, के द्वारा का लोप  हो जाता है।

जैसे— रस से युक्त – रसयुक्त,

गुण से हीन – गुणहीन

  • संप्रदान तत्पुरुष—इसमें संप्रदान कारक के चिह्न के लिए का लोप हो जाता है।

जैसे— देश के लिये भक्ति – देशभक्ति

प्रकाश के लिये किरण – प्रकाश-किरण

  • अपादान तत्पुरुष—इसमें अपादान कारक के चिह्न से का लोप हो जाता है।

जैसे—धर्म से विमुख – धर्मविमुख

देश से निकालना – देशनिकाला

  • संबन्ध तत्पुरुष—इसमें संबन्ध कारक के चिह्न का, के, की का लोप हो जाता है।

जैसे—माता का भक्त -  मातृभक्त

सेना का पति – सेनापति

  • अधिकरण तत्पुरूष—इसमें अधिकरण कारक के चिह्न में पर का लोप हो जाता है।

जैसे—अपने पर बीती हुई – आपबीती

रस में लीन – रसलीन

कर्मधारय समास – इसमें पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है।

जैसे—नीलकमल, सगुण

द्विगु समास– इसमें पहला पद सङ्ख्यावाची और दूसरा संज्ञा का होता है।

जैसे– त्रिकोण, नवग्रह

बहुब्रीहि समास – इसके दोनों पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता, अपितु कोई अन्य ही होता है।

जैसे — चतुरानन – चार मुखवाला अर्थात् ब्रह्मा

दशानन – दस मुखवाला अर्थात् रावण

द्वंद्व समास – इसमें दोनों पदों में और शब्द का लोप हो जाता है।

जैसे—माता और पिता – माता-पिता

अन्न और जल – अन्न-जल

हिन्दी सीखें–संज्ञा (Noun)

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कोई भी वस्तु, प्राणी, गुण, दशा या भाव के नाम को ही हम संज्ञा कहते हैं।

जैसे— सिंह, लड़की, दीवार और घास आदि।

संज्ञा के तीन भेद निम्न लिखित हैं-

  • जातिवाचक संज्ञा
  • व्यक्तिवाचक संज्ञा
  • भाववाचक संज्ञा

जातिवाचक संज्ञा—जो शब्द एक ही प्रकार के सभी वस्तुओं या प्राणियों का बोध कराता हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे—बकरी, पुस्तक, पङ्खा, लड़का आदि।

व्यक्तिवाचक संज्ञा—जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध कराता हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे—महात्मा गाँधी, आगरा, गङ्गा आदि।

भाववाचक संज्ञा—जिन शब्दों से मन के द्वारा अनुभव किये जानेवाले भावों का बोध होता हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

इस संज्ञा को देखा या छुआ नहीं जा सकता बल्कि अनुभव किया जाता है।

जैसे—अवगुण, कोमलता, ठण्ड, बचपन आदि।

हिन्दी सीखें–संज्ञा निर्माण (Building of Noun)

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भाववाचक संज्ञा का निर्माण निम्नलिखित शब्दों से किया जा सकता है।

  • जातिवाचक संज्ञा से
  • सर्वनाम से
  • वीशेषण से
  • क्रिया से
  • क्रियाविशेषण से

जातिवाचक संज्ञा से—-

शब्द  भाववाचक संज्ञा
बच्चा बचपन
नारी नारीत्व
बाल बालपन
नेता नेतृत्व
बन्धु बन्धुत्व
लड़का लड़कपन
सेवक सेवा
अध्यापक अध्यापन
पुरुष पुरुषत्व
भिक्षुक भिक्षा
पशु पशुता
शिशु शैशव
पण्डित पाण्डित्य
युवा यौवन
मानव मानवता
मनुष्य मनुष्यता

सर्वनाम से—-

शब्द  भाववाचक संज्ञा
अहं अहंमन्यता
निज निजत्व
आप आपा
मम ममत्व/ममता
अपना अपनत्व
पराया परायापन

विशेषण से—-

शब्द  भाववाचक संज्ञा
जागरूक जागरूकता
दुखी दुःख
तत्पर तत्परता
मीठा मिठास
नीच नीचता
मृदु मृदुता
मधुर मधुरता
महान महानता
श्रेष्ठ श्रेष्ठता
विद्वान विद्वता
राष्ट्रीय राष्ट्रीयता
वीर वीरता
स्वतन्त्र स्वतन्त्रता
लघु लघुता
स्वस्थ स्वास्थ्य
लंबा लंबाई
सुन्दर सुन्दरता सौंदर्य
सुखी सुख
उदास उदासी
उदार उदारता
गंभीर गंभीरता
उज्जवल उज्जवलता
करुण करुणा
उत्सुक उत्सुकता
कटु कटुता
चौड़ा चौड़ाई
काला कालिमा
चालाक चालाकी
कोमल कोमलता
कायर कायरता

क्रिया से—-

शब्द  भाववाचक संज्ञा
उड़ना उड़ान
झुकना झुकाव
उलझना उलझाव
झुँझलाना झुँझलाहट
बनना बनावट
चुनना चुनाव
बहना बहाव
चमकना चमक
बुलाना बुलावा
चलना चाल
बिकना बिक्री
चढ़ाना चढ़ावा
बुनना बुनाई
भरना भराई
समझना समझ
कूदना कूद
सजना सजावट
कटना कटाव
सिलना सिलाई
कमाना कमाई
डाँटना डाँट
ढूँढ़ना ढूँढ़
पूजना पूजा
मिलना मिलाप
पढ़ना पढ़ाई
मारना मार
पड़ना पड़ाव
मोहना मोह
पकड़ना पकड़
धोना धुलाई
लूटना लूट
दिखाना दिखावट
लिखना लिखाई
दलना दलन

क्रियाविशेषण से—-

शब्द  भाववाचक संज्ञा
निकट निकटता
दूर दूरी
सहज सहजता
तेज तेजी
शीघ्र शीघ्रता

 

हिन्दी सीखें–लिङ्ग

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शब्द का वह रूप जो पुरुष जाती अथवा स्त्री जाती होने की भिन्नता का आभास कराये, उसे लिङ्ग कहा जाता है।

जैसे पुरुष जाती के लिए राजा, छात्र, बैल, राम आदि प्रयुक्त होते हैं और स्त्री जाती के लिए रानी, छात्रा, गाय, सीता आदि प्रयुक्त होते हैं।

लिङ्ग के भेद (Kinds of Gender)

हिन्दी में लिङ्ग के दो रूप माने जाते हैं-

पुल्लिङ्ग (Masculine)- पुरुष जाती का बोध कराने वाले शब्द को पुल्लिङ्ग कहा जाता है।

जैसे- घोड़ा, मोर, चाचा, लड़का, हाथी, मुरगा, कुत्ता, बकरा, हिरन, ऊँट, चूहा, आदि।

स्त्रीलिङ्ग (Feminine)- स्त्री जाती का बोध कराने वाले शब्द को स्त्रीलिङ्ग कहा जाता है।

जैसे- घोड़ी, मोरनी, चाची, लड़की, हथिनी, मुरगी, कुतिया, बकरी, हिरनी, ऊँटनी, चुहिया आदि।

लिङ्ग की पहचान (Identifying Gender)

प्राणीवाचक शब्द- प्राणीवाचक शब्दों में कुछ शब्द सदा ही पुल्लिङ्ग होते हैं।

जैसे- कौआ, केंचुआ, चीता, चमगीदड़, बगुला, भेड़िया, तीतर, तोता, खटमल, पक्षी, मच्छर और उल्लू आदि।

प्राणीवाचक शब्दों में ही कुछ शब्द सदैव ही स्त्रीलिङ्ग भी होते हैं।

जैसे- कोयल, मैना, मक्खी, मछली, बटेर, बत्तख, तितली, जूँ, जोंक, चिड़िया और चील आदि।

शब्दों में लिङ्ग भेद करने के लिए उनसे पूर्व नर या मादा लिख कर भी किया जा सकता है।

जैसे- नर चील, नर तितली, नर मछली, मादा कोयल, मादा तीतर, मादा मच्छर आदि।

पुल्लिङ्ग शब्द— सदैव पुल्लिङ्ग रहने वाले शब्द निम्नलिखित होते हैं-

दिनों के नाम- सोमवार, मङ्गलवार, शनिवार, रविवार आदि।
महीनों के नाम- चैत्र, फागुन, आषाढ़, जनवरी, अप्रैल, नवंबर दिसंबर आदि।
ग्रहों के नाम- मङ्गल, चन्द्रमा, बुध, शनि, शुक्र और बृहस्पति आदि। इसमें पृथ्वी स्त्रीलिङ्ग शब्द है। यह अपवाद है।
सागरों के नाम- हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर, अरब सागर आदि।
पहाड़ों के नाम- नीलगिरि, हिमालय, आल्पस, विण्ध्याचल आदि।
देशों के नाम- भारत, फ्रांस, अमेरिका और पुर्तगाल आदि।
महाद्वीपों के नाम- एशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया आदि।
धातुओं के नाम- लोहा, सोना, ताँबा, पीतल, काँसा, जस्त आदि। इसमें चाँदी स्त्रीलिङ्ग शब्द है। यह अपवाद है।
खनिज पदार्थों के नाम- तेल, कोयला, मैंगनीज आदि।
रत्नों के नाम- मूँगा, मोती, हीरा, पन्ना, नीलम आदि।
वृक्षों के नाम- आड़ू, आम, अमरूद, संतरा, सेब, गुलाब, गेंदा, नींबू आदि। इसमें शीशम, लीची, इमली, मौलसिरी आदि स्त्रीलिङ्ग शब्द हैं। यह अपवाद है।
फसलों के नाम- बाजरा, चावल, चना, गेहूँ, जौ, गन्ना, लोबिया आदि। इसमें बरसीम, मक्का, मटर आदि स्त्रीलिङ्ग शब्द हैं। यह अपवाद है।
भोज्य पदार्थों के नाम- हलवा, समोसा, डोसा, पेड़ा, रसगुल्ला, भटूरा, अचार आदि। इसमें रोटी, पूरी, कचौड़ी, जलेबी, बरफी, दही, खीर, कढ़ी, मिठाई, चटनी, तरकारी आदि सब स्त्रीलिङ्ग शब्द हैं। यह अपवाद है।

स्त्रीलिङ्ग शब्द— सदैव स्त्रीलिंग रहने वाले शब्द निम्नलिखित होते हैं-

नदियों के नाम- कृष्णा, कावेरी, गङ्गा, यमुना, घाघरा, नर्मदा, तुङ्गभद्रा, ब्रह्मपुत्र आदि ।
झीलों के नाम- साँभर, डल, चिलका, वूलर आदि।
नक्षत्रों के नाम- भरणी, भद्रा, चित्रा, आर्द्रा आदि।
तिथियों के नाम- प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, पूर्णिमा, अमावस्या आदि।
भाषाओं के नाम- पञ्जाबी, हिन्दी, संस्कृत, अङ्ग्रेजी, उर्दू, फारसी, अरबी, रूसी, चीनी, पुर्तगाली, मलयालम आदि।
खेलों के नाम- हाकी, कबड्डी, कुश्ती, तैराकी, दौड़, क्रिकेट, वालीबाल, निशानेबाजी आदि।


हिन्दी सीखें–सर्वनाम (Pronoun)

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वाक्य में जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया जाये उसे सर्वनाम कहा जाता है।
संज्ञा को बार बार प्रयोग में न लाया जाये इसके लिए सर्वनाम का प्रयोग आवश्यक है।

जैसे - राकेश ने कहा कि मैं आज कार्यलय नहीं जाऊँगा।

सैनिकों ने कहा कि हम वैरि को मार गिराने के लिए तैयार हैं।

इन वाक्यों में संज्ञा और सर्वनाम का प्रयोग इस प्रकार किया गया है -

वाक्य संज्ञा सर्वनाम
1. राकेश–मैं
2. सैनिकों–हम

सर्वनाम के भेद (Kinds of Pronouns) 

हिन्दी में सर्वनाम के छह भेद हैं -

  • पुरुषवाचक सर्वनाम
  • निश्चयवाचक सर्वनाम
  • अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  • संबन्धवाचक सर्वनाम
  • प्रशनवाचक सर्वनाम
  • निजवाचक सर्वनाम

1. पुरुषवाचक सर्वनाम – वाक्य में जो सर्वनाम बोलनेवाले, सुननेवाले अथवा किसी दूसरे व्यकित या प्राणी का बोध कराते हैं, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहा जाता है।

जैसे - रमा ने पुछा कि वह खाने पर किस दिन आ रही है।
अध्यापक ने बच्चों से पुछा कि तुमने पत्र लिख लिया या नहीं।

पुरुषवाचक सर्वनाम के पुरुष तीन प्रकार के होते हैं -

उत्तम पुरुष – जो सर्वनाम कहनेवाले के लिए प्रयुक्त किया जाए उसे उत्तम पुरुष कहते हैं । जैसे — मैं, हम ।

मध्यम पुरुष – जो सर्वनाम सुननेवाले के लिए प्रयुक्त किया जाए उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे — तुम, तू, आप ।

अन्य पुरुष – जो सर्वनाम किसी व्यक्ति, प्राणी या वस्तु के विषय पर चल रही बात के स्थान पर प्रयुक्त हो उसे अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे — वह, वे।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम – निकट अथवा दूर की किसी निश्चित वस्तु या प्राणी की ओर सङ्केत करनेवाले सर्वनाम को निश्चयवाचक सर्वनाम कहा जाता है।

जैसे - यह तितली है।
वह चोर है।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम – जिसका सङ्केत अनिश्चित व्यकित या वस्तु की ओर हो, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहा जाता है।

जैसै - माता जी के पास कोई खड़ा है।
भिखारी कुछ माँग रहा है।

4. संबन्धवाचक सर्वनाम – किसी वाक्य में आये एक उपवाक्य की संज्ञा या सर्वनाम का दूसरे उपवाक्य से संबन्ध बताने वाले सर्वनाम को संबन्धवाचक सर्वनाम कहा जाता है।

जैसे - मुझे वह लड़का मिला था जिसका तुमसे झगड़ा हो रहा था।
तुम्हारी कलम मुझे मिल गई जो तुमने कल खो दी थी।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम – प्रश्न पूछने के लिए जो सर्वनाम प्रयुक्त होते हैं उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहा जाता है।

जैसे - तुम कहाँ से आये हो।
आपको किस व्यकिती से मिले थे।

6. निजवाचक सर्वनाम – जब कर्ता सर्वनाम का प्रयोग अपने लिये (स्वयं या अपने आप के अर्थ में) करे तो उसे निजवाचक सर्वनाम कहा जाता है।

जैसे - उसने स्वयं ही यह पत्र लिखा था।
मैं अपने आप दिल्ली गया था।

सर्वनाम में लिङ्ग - स्त्री और पुरुष दोनों में एक-से सर्वनाम प्रयुक्त होने के कारण सर्वनाम शब्दों के लिङ्ग रूप में कोई विकार नहीं पाया जाता।

पुल्लिङ्ग–मैं पत्र लिख रहा हूँ मैं पत्र लिख रही हूँ।
स्त्रीलिङ्ग–तुम गीत गा रहे हो। तुम गीत गा रही हो।
वह सो रहा है। वह सो रही है।

सर्वनाम में वचन -
वचन-परिवर्तन के अनुसार ही सर्वनाम के विकारी शब्द पैदा हो जाते हैं। इसके वचन इस प्रकार हैं -

वचन उत्तम पुरुष मध्यम पुरुष अन्य पुरुष
एकवचन मैं तू वह
बहुवचन हम तुम, आप वे, आप

याद रखने योग -
तुम और आप का प्रयोग भले ही एक व्यक्ति के लिये करें परन्तु यह बहुवचन की तरह ही प्रयुक्त हुआ प्रतीत होता है।

पत्नी ने पति से पुछा, “आप कहाँ गये थे ?”

हिन्दी सीखें (Let us Learn Hindi) –एकवचन बहुवचन

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महत्व पूर्ण नियम जिनसे एकवचन से बहुवचन बना लिये जाते हैं (Important Rules of Changing Masculine into Feminine) -

पुल्लिङ्ग शब्द से (From Masculine) -

  • पुल्लिङ्ग शब्द के अन्त में आ को ए में बदल देने से -
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
बच्चा बच्चे लोटा लोटे
बेटा बेटे जाला जाले
बस्ता बस्ते मेला मेले
बछड़ा बछड़े चश्मा चश्मे
कमरा कमरे ताला ताले

 स्मरण रखें–

यह नियम संस्कृत के आकारान्त शब्दों और सम्बन्ध सूचक शब्दों में  मान्य नहीं होते हैं।जैसे—

चाचा, मामा, दाता, पिता, नाना, सखा, फूफा, योद्धा, नेता आदि।

  • जो पुल्लिङ्ग शब्द आकारान्त नहीं होते, उनका बहुवचन बनाते समय रूप-परिवर्तन नहीं किया जाता। उनके आगे संख्यावाची शब्द लगाने से ही बहुवचन बन जाते हैं -
एकवचन बहुवचन
एक आलु दस आलु
एक बाग दो बाग
एक गाँव चार गाँव
एक माली चार माली
एक ग्रह नौ ग्रह
एक गुरु तीन गुरु

स्त्रीलिङ्ग शब्द से (From Feminine) -

जब स्त्रीलिङ्ग शब्द के इकारान्त और ईकारान्त शब्दों के अन्त में इ और ई हो तो इनके स्थान पर इयाँ लगा दिया जाता है। जैसे–

एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
लड़की लड़कियाँ छतरी छतरियाँ
रानी रानियाँ ताली तालियाँ
नारी नारियाँ सीपी सीपियाँ
स्त्री स्त्रियाँ नदी नदियाँ
भाभी भाभियाँ डाली डालियाँ
साड़ी साड़ियाँ सिसकी सिसकियाँ

वह स्त्रीलिङ्ग शब्द जिसके अन्त में इया हो उसके स्थान पर इयाँ लगा देने से बहुवचन बन जाता है। जैसे—

एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
गुड़िया गुड़ियाँ डिबिया डिबियाँ
चिड़िया चिड़ियाँ लुटिया लुटियाँ
बुढ़िया बुढ़ियाँ चुहिया चुहियाँ

अकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्द के अन्त में एं लगाने से बहुवचन बन जाते हैं -

एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
आँख आँखें चप्पल चप्पलें
बाँह बाँहें पुस्तक पुस्तकें
मूँछ मूँछें चाल चालें
जीभ जीभें भौंह भौंहें

आकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्द के अन्त में भी यें लगाने से बहुवचन बन जाते हैं -

एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
चिता चितायें माला मालायें
शाला शालायें जटा जटायें
कन्या कन्यायें घटा घटायें
कथा कथायें बाधा बाधायें
भावना भावनायें बाला बालायें

उकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्द के अन्त में भी यें लगाने से बहुवचन बन जाते हैं -

एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
वस्तु वस्तुयें ऋतु ऋतुयें
  • उकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्द के अन्त में यदि ऊ हो तो उसे उकर के यें जोड़ देने से बहुवचन बन जाते हैं-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
जूँ जुयें वधू वधुयें
बहू बहुयें लू लुयें

स्मरण रखने योग्य —

  • एकवचन शब्द यदि आदरार्थ हो तो वह भी बहुवचन की भाँति प्रयुकत किया जाता है। जैसे—

डाकटर साहिब रोगी को देख रहे हैं।

पिता जी समाचार-पत्र पढ़ रहे हैं।

हम अध्यापक महोदय से विज्ञान सीख रहे हैं।

  • सदैव बहुवचन में प्रयोग किये जाने वाले शब्द भी होते हैं जैसे—

प्राण, बाल, लोग, दर्शन, समाचार, आँसू, हस्ताक्षर, होंठ आदि।

  • कुछ भाववाचक और व्यक्तिवाचक संज्ञाओं को साधारण रूप में एकवचन में ही प्रयोग किया जाता है।जैसे—सच्चाई, आगरा, सुख, दीपा, ममता आदि।

हिन्दी सीखें (Let us Learn Hindi) —वचन (Number)

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जिस शब्द से संख्या का ज्ञान हो उसे वचन कहा जाता है।

महत्व (Importance of Number)-

वचन से वस्तु अथवा प्राणी के एक या अनेक होने का पता चलता है।

भेद (Kinds of Number)-

वचन के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-

  • एकवचन
  • बहुवचन

एकवचन (Singular)–शब्द का वह रूप जिससे प्राणी अथवा वस्तु के एक होने का बोध हो उस शब्द को एकवचन कहते हैं।

जैसे- पुस्तक, कार, माला, लड़की आदि।

बहुवचन (Plural)–शब्द का वह रूप जिससे एक से अधिक प्राणियों अथवा वस्तुओं के होने का बोध हो उस शब्द को बहुवचन कहते हैं।

जैसे- पुस्तकें, कारें, मालायें, लड़कियाँ आदि।

हिन्दी सीखें (Let us Learn Hindi) —कारक (CASE)

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संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वाक्य में क्रिया के साथ जो सम्बन्ध पाया जाता है, उसे ही हम कारक कहते हैं

जैसे पक्षी को आखेटक ने तीर से मारा। यहाँ क्रिया का सम्बन्ध इस प्रकार है-

–आखेटक क्रिया का करनेवाला है
–पक्षी पर क्रिया का प्रभाव पड़ा है
–तीर क्रिया की पूर्ति का साधन बना है

कारक के भेद (Kinds of Case) -

हिन्दी में कारक के आठ भेद होते हैं। जो इस प्रकार हैं -

  1. कर्ता कारक
  2. कर्म कारक
  3. करण कारक
  4. सम्प्रदान कारक
  5. अपादान कारक
  6. सम्बन्ध कारक
  7. अधिकरण कारक
  8. सम्बोधन कारक

1. कर्ता कारक – वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के करने वाले का ज्ञान हो, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। जैसे- बच्चा रो रहा है। लड़का नहा रहा है।—— इन वाकयों में बच्चा और लड़का करता कारक हैं।

2. कर्म कारक – वाक्य में जिस शब्द पर क्रिया का प्रभाव पड़ रहा है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे -गुड़िया गेंद खेल रही है। बच्चा पुस्तक पढ़ रहा है। —- इन वाकयों में गेंद और पुस्तक कर्म कारक हैं।

3. करण कारक – वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के साधन की जानकारी मिले उसे करण कारक कहा जाता है। जैसे - रमा कलम से रङ्ग भरती है। लड़की हाथ से लिख रही है। —- इन वाकयों में कलम और हाथ से क्रिया के ही साधन हैं। इस लिये करण कारक हैं।

4. सम्प्रदान कारक – वाकय में जिसके लिये क्रिया की जा रही हो, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है। जैसे - विद्यार्थी गुरुजी को प्रणाम करते हैं। माली लोगों के लिए वृक्ष लगाता है। —– इन वाकयों में क्रिया गुरुजी और लोगों के लिये की जा रही है। इस लिये यह सम्प्रदान कारक है।

5. अपादान कारक – वाक्य में जिस शब्द से व्यकित या वस्तु का भिन्न होना पता चले, उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे - लड़का द्विचक्रिका से गिर गया। आकाश से ओले पड़ रहे हैं। ——- दोनो वाक्यों में द्विचक्रिका और आकाश से अलग होना है, इस लिये यह अपादान कारक है।

6. सम्बन्ध कारक – वाक्य में जब कोई संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द अपना सम्बन्ध क्रिया से हट कर किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम से सूचित या अधिकृत करे तो इस तरह के शब्द को सम्बन्ध कारक कहा जाता है। जैसे - राम के माता जी भोजन बना रहे हैं। श्याम की बहन पुस्तक पड़ रही है। —– इन वाक्यों में राम का सम्बन्ध माता से और श्याम की बहन से है, इस लिये राम और श्याम सम्बन्ध कारक हैं।

7. अधिकरण कारक – वाक्य का वह शब्द जो क्रिया के आधार की ओर संकेत करे, उसे अधिकरण कारक कहा जाता है। जैसे - माली बगीचे में काम कर रहा है। पक्षी रस्सी पर बैठे हैं। —– यहाँ दोनो वाक्यों में बगीचे में और रस्सी पर क्रिया के आधार की ओर सङ्केत है, इस लिये यह अधिकरण कारक हैं।

8. सम्बोधन कारक – वाक्य में वह शब्द जो सम्बोधन के लिये प्रयोग में लाये जाते हैं, उनहें सम्बोधन कारक कहा जाता है। जैसे - मोहन ! किधर जा रहे हो। री ! सुनो, इधर आओ। —– इन वाक्यों में, मोहन और री, सम्बोधन करने के लिये ही उपयुक्त किये गये हैं। इस लिये यह सम्बोधन कारक हैं। इनके पीछे सम्बोधन चिह्न ! लगाना आवश्यक है।

कारक-चिह्न (Signs of Case)

कारक की पह्चान करवा देने वाले शब्द को कारक-चिह्न या परसर्ग कहते हैं।

कारक कारक चिह्न उदाहरण
कर्ता ने या कुछ नहीं राम ने भोजन किया।
वह स्कूल जाती है।
कर्म को या कुछ नहीं कुत्ते ने लड़के को काटा।
उसने भोजन किया।
करण से या के द्वारा वह कलम से लिखती है।
यह काम आप के द्वारा ही होगा।
सम्प्रदान लिये या को वह खाने के लिये अङ्गुर लाया है।
मित्र को कलम दे दो।
अपादान से (अलग होने के लिये) वृक्ष से आम गिरा है।
सम्बन्ध का, के, की राम की बहन आ रही है।
रा, रे, री तुम्हारा भाई कव आ रहा है?
ना, ने, नी अपना ध्यान रखो।
अधिकरण में या पर वह कक्षा में है।
आसन पर बिल्ली बैठी है।
सम्बोधन कोई नहीं, सम्बोधन चिह्न रमा ! आप उपर जाओ।

10 words that American and Indians use to mean different things

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The sound of words in different languages around the world may be similar or somewhat similar. However, knowing the real problem helps you if you are visiting that particular country so that you will not use those words in a wrong context.

English and Indian languages have lots of words having similar sounds. We offer 15 such words. Hope you enjoy them.

  • Comely and Kamli

She is comely, indeed! (Remember Thomas Hardy from Tess of D’Urbervillies). Well, yea, the word comely has a similar sound in the word ‘Kamli’ in India, which actually is not from original Sanskrit. But the word is used for a woman who is out of wits and is not in her own senses. The male version of this word is ‘Kamla’.

The phonetic representation of Indian word would be Kamalī.

Different meanings of words in America and India

 

 

  • Sir and Sar

The word means a formal respect given to anybody who is elder in age or holds a higher position in authority. In India too, this word is used more often than the name of a person, but its counterpart in Indian language simply means ‘head’–the body part.

The phonetic representation of Indian word would be Sara.

Difference in meanings of word in America and India

 

 

  • Suffer and Safar

This word is really interesting. Suffer of course is a verb in English and means act of undergoing pain or sorrow. In India, Safar would mean going somewhere or travelling to a place. People use this word while traveling through bus, train or plane or through sea. It’s not a native Indian word and differs from India ‘f’ in the middle, but it is frequently used in India.

The phonetic representation of Indian word would be Safara.

Common words

 

 

 

  • Pee and Pee

The word Pee in English is used to express the liquid excrete material of the body; however, in India, it has total opposite meaning. It means to drink. Funny part is that English Pee would mean excreting the liquid out while Indian Pee would mean taking some kind of liquid in.

The phonetic representation of Indian word would be Pī.

Common Words

 

 

  • Hi and Hai

These are interesting words but used totally in a contrasting manner. English ‘Hi’ is positive addressing the other person with greetings and conveying warm feelings. However, India ‘Hai’, is an interjection; an expression of sadness, sorrow, misery and pain. The phonetic representation of Indian word would be Hāya.

Common Word

 

 

  • Bill and Bill

The word bill is used in English to mean the record of payment one owes, sometimes a law or rule that is passed in the parliament. However, in India, it means the hole of rodents, or some small wild animals. It an expression that means house. Sometimes, people swear on others saying: “Go, hide in your bill”, which means “Go, hide in your hole!”

The phonetic representation of Indian word would be Bila.

 

Common Words

 

 

  • Mystery and Mistry

Mystery is mysterious. It has an element of surprise, unknown, and astonishment. It’s something that is not clear, known and understood. However, in India, ‘Mistry’ would mean a mason. A person who engages in construction of buildings, houses, shops, etc. The person who works with bricks, mortar and cement.

The phonetic representation of Indian word would be Mistrī.

 

Common Words

 

 

  • Con and Kaun or Kaan

The word con would mean many things in English. It acts as a noun, verb and adverb. However, in India, it may get two pronunciation. One of them would be “Kaun”, which simply means who. The other pronunciation, which is more Americanized, would be “Kaan”, which would mean an ear.

The phonetic representation of Indian word would be Kauna and Kāna.

Common Words

 

 

 

  • Must and Mast

Now you must understand the meaning must if you know English! :) Grammar rules are must if you want to use a language. However, in India, with soft pronunciation of ‘t’, the word would become ‘mast’, which means somebody who is a cool person; gets along with people easily; and also engaged and engrossed blissfully in his/her own thoughts and world. Basically, a very likable person or concept!

The phonetic representation of Indian word would be Masta.

 

modal-verb-must

 

 

  • Purr and Par

Purr is the sound made by a cat. A recent research shows that it is a healing sound and can help you with your bones if the cat is sitting in your lap! :) Anyways, In India, ‘Par’ is a conjunction which means “But”.

The phonetic representation of Indian word would be Para.

Common Words

 

The images are taken from internet and does not intend anything else apart from conveying the message. Feel free to share and like if you feel you learned something from it.

How to ask ‘How are you’ in Hindi?

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Hindi for Foreigners

Asking ‘How are you’ or ‘How do you do’ in Hindi is really simple. However, foreigners needs to take care that the sentences change with the gender.

I have tried to provide all the variations that may revolve around the same basic sentence.

Word Key

Hindi Word Meaning (Usage)
Āpa You (respectful)
Tuma You (Informal)
Wo He, she, they (not present)
Kaise How
Kaisī How (female)
Hai’n Are (Plural, Formal)
Ho Are (singular)
Hai Are (Singular Informal)

 

Asking a Male: How are you?

When you have to ask the question from male but offering him some respect due to age, position, or if the person is not informally comfortable with you (like if you have met him once or twice).

Hindi

Just notice the ‘n. It’s the small nasal sound that may totally change the meaning of the word. This is very particular to Hindi and is different from the usual function played by Anuswāra.

 

Asking a Female: How are you?

When you have to ask the same question from a female but offering her some respect due to age, position, or if the person is not informally comfortable with you (like if you have met her once or twice).

 

Hindi for female

 

 

Asking a male informally

This expression is used when you have to address the person informally due to friendly comfort, young age, or low in position.

 

Hindi

 

Asking a female informally

This expression is used when you have to address a woman informally due to friendly comfort, young age, or low in position.

 

Hindi for female

 

Asking about a male not present at the scene

This expression is used when you have to ask about a male who is not present at the scene.

 

 

 

Hindi for him and they

 

Asking about a female not present at the scene

This expression is used when you have to ask about a female who is not present at the scene.

 

Hindi for she

 

Asking about a male not present at the scene (Informal)

This expression is used when you have to ask about a female who is not present at the scene but in an informal way due to young age, authority, etc.

Hindi for He

 

 

Asking about a female not present at the scene (Informal)

This expression is used when you have to ask about a female who is not present at the scene but in an informal way.

Hindi for she

 

Asking in plural

All the above expressions are used for singular version only. If you have to ask for plural subjects, you can add a single word to all of them after the first word and it will take care of every condition that might be there.

The word that you can add is सभी, which is read as “Sabhī”.

For example, it will now read as:

Wo Sabhī Kaise Hai’n?

Tum Sabhī Kaise Ho?

Further, in day-to-day usage, this word takes the for of “Saba”, which speaking.

Names of vegetables in hindi

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Names of vegetables in Hindi from English with phonetic representation

I have seen a lot of friends of mine who come from different countries but hardly know the Hindi names of vegetables, food items while they sit in some restaurant or eatery. They find it difficult to even sometimes order because the menu cards of the joints are usually Hindi names written in English.

I have tried to compile some common used vegetables and also provided their phonetic representation so that foreigners can understand these Hindi vegetables in a clearer way.

I hope this helps them in ordering correct food items.

If you feel there are other items that you would like to know about, you can write that in the comment section and I will try to find out the names in English and also give you the pronunciation help.

 

English names of vegetables Hindi names of vegetables Phonetic Representation
Brinjal बैंगन Baiṅgana
Peas मटर Maṭara
Turnip शलगम Śalagama
Tomato टमाटर Ṭamāṭara
Spinach पालक Pālaka
Radish मूली Mūli
Potato आलू Ālū
Cabbage गोबी Gobī
Carrot गाजर Gājara
Onion प्याज Pyaja
Chilli मिर्च Mirca
Lemon नींबू Nīnbū
Ladyfinger भिण्डी Bhiṇḍī
Ginger अदरक Adaraka

हिन्दी सीखें–लिङ्ग बदलना (Gender Change)

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हिन्दी भाषा में लिङ्ग बदलना (Methods of changing Gender in Hindi Language)

पुल्लिङ्ग से स्त्रीलिङ्ग में बदलने के ढङ्ग (Changing Masculine to Feminine)

नियम (Rule)

  • जो पुल्लिङ्ग शब्द (अ) से समाप्त होते हैं उनके पीछे (आ) लगाने से स्त्रीलिङ्ग बन जाता है। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग
आचार्य आचार्या
श्याम श्यामा
आत्मज आत्मजा
शिष्य शिष्या
आदरणीय आदरणीया
श्वेत श्वेता
पूज्य पूज्या
प्रिय प्रिया
सुत सुता
महोदय महोदया
  • जिस पुल्लिङ्ग शब्द के अन्त में (अक) आये उसके स्थान पर (इका) लगाने से स्त्रीलिङ्ग बन जाता है। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 
पाठक पाठिका
लेखक लेखिका
पुस्तक पुस्तिका
शिक्षक शिक्षिका
अध्यापक अध्यापिका
बालक बालिका
गायक गायिका
धावक धाविका
नायक नायिका
सेवक सेविका
  • पुल्लिङ्ग शब्द के अन्त में आया (अ, आ,) को (ई) में बदलने से स्त्रीलिङ्ग बन जाता है। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 
मुरगा मुरगी
देव देवी
मौसा मौसी
दादा दादी
मामा मामी
लड़का लड़की
चाचा चाची
पुत्र पुत्री
बेटा बेटी
बकरी बकरी
  • पुल्लिङ्ग शब्द के अन्त (आ) को हटाकर (इया) में बदलने से स्त्रीलिङ्ग बन जाता है।
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग
गुड्डा गुडिया
चुहा चुहिया
बूढ़ा बूढ़िया
कुत्ता कुतिया
बेटा बिटिया
लोटा लुटिया
  • पुल्लिङ्ग शब्द के अन्त में (इन) लगाने से भी स्त्रीलिङ्ग बन जाता है। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग
ग्वाला ग्वालिन
कहार कहारिन
लुहार लुहारिन
माली मालिन
कुम्हार कुम्हारिन
नाई नाइन
धोबी धोबिन
तेली तेलिन
  • कुछ पुल्लिङ्ग शब्दों के अन्त में (नी) लगा लेने से भी स्त्रीलिङ्ग बन जाते हैं। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 
चोर चोरनी
ऊँट ऊँटनी
सिंह सिंहनी
मोर मोरनी
भील भीलनी
  • कुछ पुल्लिङ्ग शब्दों के अन्त में (अ) हटा कर (आनी) लगाने से स्त्रीलिङ्ग बन जाते हैं। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग
सेठ सेठानी
देवर देवरानी
भव भवानी
जेठ जेठानी
  • कुछ पुल्लिङ्ग शब्दों के अन्त में (ई) हटा कर (इनी) लगा देने से स्त्रीलिङ्ग बन जाते हैं। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 
अभिमानी अभिमानिनी
तपस्वी तपस्विनी
यशस्वी यशस्विनी
हाथी हाथिनी
स्वामी स्वामिनी
वनवासी वनवासिनी
  • जिस पुल्लिङ्ग शब्द के अन्त में (मान, वान) को हटा कर (मती, वती) लगा दिया जाये तो स्त्रीलिङ्ग बन जाता है। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 
रूपवान रूपवती
भगवान भगवती
श्रीमान श्रीमती
गुणवान गुणवती
बलवान बलवती
बुद्धिमान बुद्धिमती
  • कुछ पुल्लिङ्ग शब्दों का स्त्रीलिङ्ग रूप भिन्न रूप से ही बन जाता है। जैसे-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 
ससुर सास
दिन रात
पिता माता
विधुर विधवा
भाई बहन
कवि कवयित्री
पुरष स्त्री
वर वधू
नर मादा
राजा रानी
बैल गाय

हिन्दी सीखें–विशेषण की अवस्थायें (Hindi Visheshan)

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विशेषण की तीन अवस्थायें कही जाती हैं-

मूलावस्था – विशेषण का वह मूलरूप जिस में किसी से तुलना ना की जाये। जैसे-

  • वह सुन्दर है।
  • तुम अच्छी लड़की हो।

उत्तरावस्था – विशेषण का वह रूप जब दो विशेष्यों की विशेषताओं की तुलना की जाये। जैसे-

  • वह राम से अधिक सुन्दर है।
  • शाम तुमसे अच्छा लड़का है।

उत्तमावस्था – विशेषण का वह रूप जो एक विशेष्य को अन्य सभी की तुलना में बढ़कर बता रहा हो। जैसे-

  • तुम सबसे अच्छे लड़के हो।
  • रमन में श्रेष्ठतम गुण हैं।

हिन्दी सीखें–हिन्दी विशेषण (Hindi Visheshan)

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हिन्दी विशेषण (Hindi Visheshan)

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन शब्दों को विशेषण कहा जाता है।

इसे पढ़ें-

  • उसका कोट लाल है।
  • यह बालक अच्छा है।

यहां लाल कोट की और अच्छा बालक की विशेषता है।

विशेषण जिन शब्दों की विशेषता बताता है, उन शब्दों को विशेष्य कहा जाता है। जैसे उपर दिया गया है-

विशेषण विशेष्य
लाल कोट
अच्छा बालक

विशेषण के भेद (Kinds of Adjective) -

विशेषण के पाँच भेद होते हैं-

  • गुणवाचक विशेषण
  • परिमाणवाचक विशेषण
  • संख्यावाचक विशेषण
  • सार्वनामिक विशेषण
  • व्यक्तिवाचक विशेषण

गुणवाचक विशेषण: जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रङ्ग, आकार और दशा का बोध कराते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहा जाता है। जैसे-

  • गुण – वह एक अच्छा बालक है।
  • दोष – वह एक भ्रष्ट सिपाही है।
  • रङ्ग – बालक का रङ्ग गोरा है।
  • आकार – सायकल का पहिया गोल है।
  • दशा – इस वर्ष वर्षा न होने से सूखा पड़ गया।
  • काल – हमें नवीन विचारों को अपना लेना चाहीये।

परिमाणवाचक विशेषण: जो शब्द किसी वस्तु की मात्रा, नाप, या तौल बताते हों, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहा जाता है। जैसे –

  • मुझे थोड़ा पानी दो।
  • दो लीटर दही की क्या कीमत है।
  • आज मेरी बकरी ने कम पानी पिया है।

संख्यावाचक विशेषण:  जिन विशेषणों से संज्ञा या सर्वनामों की संख्या का पता चलता हो, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है। जैसे –

परिमाणवाचक विशेषण संख्यावाचक विशेषण
कुछ दूध कुछ लड़के
बहुत समय बहुत लोग
थोड़ा नमक थोड़े बालक
कम धैर्य कम दर्शक
  • बालक पाँचवीं कक्षा में पढ़ता है।
  • मुझे दो आदमी मिलने आये।

कुछ शब्दों का प्रयोग परिमाणवाचक और संख्यावाचक दोनों विशेषणों के लिए भी हो जाता है। जैसे –

सार्वनामिक विशेषण: सर्वनामों से बनाये जाने वाले विशेषणों को सार्वनामिक विशेषण कहा जाता है। सर्वनाम के पश्चात संज्ञा का प्रयोग होने के कारण यह शब्द सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं। जैसे-

  • वह लड़की दौड़ रही है।
  • यह घोड़ा चर रहा है।

इन वाक्यों में वह, यह, सार्वनामिक विशेषण हैं क्योंकि ये सब पीछे की संज्ञाओं लड़की, घोड़ा, की विशेषता बता रहे हैं।

व्यक्तिवाचक विशेषण: व्यक्तिवाचक संज्ञाओं से बनाए जाने वाले विशेषणों को व्यक्तिवाचक विशेषण कहा जाता है। जैसे-

  • बनारसी साड़ी
  • भारतीय नेता आदि।

हिन्दी सीखें–क्रिया पर लिङ्ग, वचन, और पुरुष का प्रभाव

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क्रिया एक विकारी शब्द है। कर्ता के लिङ्ग, वचन और पुरुष के अनुसार उसके रूप में परिवर्तन होता रहता है।

  • लिङ्ग का प्रभाव – क्रिया का लिङ्ग कर्ता के अनुसार बदलता रहता है। कर्ता पुल्लिङ्ग होने पर क्रिया आकारान्त होती है। कर्ता स्त्रीलिङ्ग होने पर क्रिया ईकारान्त हो जाती है। जैसे -
पुल्लिंग स्त्रीलिंग
सुरेश स्कूल गया था। सुमन स्कूल गई थी।
लड़का हुआ। लड़की हुई।
  •  वचन का प्रभाव – क्रिया का वचन भी कर्ता के वचन के अनुसार बदलता रहता है। यदि संज्ञा एकवचन में है तो क्रिया भी एकवचन में रहती है और यदि संज्ञा बहुवचन में होती है तो क्रिया भी बहुवचन में हो जाती है। जैसे -
एकवचन बहुवचन
मैं जाता हूँ। हम जाते हैं।
लड़की रोती है। लड़कियाँ रोती हैं।
  • पुरुष का प्रभाव – आकारान्त सकर्मक क्रिया रूप पुरुष के अनुसार नहीं बदलते। जैसे-
उत्तम पुरुष मध्यम पुरुष अन्य पुरुष
मैंने गाना गाया। तुमने गाना गाया। उसने गाना गाया।
हमने पत्र लिखा। तुमने पत्र लिखा। उन्होंने पत्र लिखा।

अन्य क्रिया रूप भी पुरुष के अनुसार बदल जाते हैं। जैसे-

उत्तम पुरुष मध्यम पुरुष अन्य पुरुष
मैं जाता हूँ। तुम जाते हो। वह जाता है।
मैं जाऊँगा। तुम जाओगे। वह जाएगा।

हिन्दी सीखें–काल (Tense)

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क्रिया के रूप से ही कार्य के करने या होने के समय का पता चलता है। इसी समय को ही क्रिया का काल कहा जाता है।

कुछ उदाहरणों को ध्यान से पढ़ें –

  • वह पढ़ रही है।
  • वह पढ़ रही थी।
  • वह पढ़ेगी।

उदाहरण एक से पता चलता है कि कार्य इस समय चल रहा है। उदाहरण दो से पता चलता है कि कार्य पहले ही समाप्त हो चुका। उदाहरण तीन से पता चलता है कि कार्य अभी आरंभ नहीं हुआ है, पर आगे चलकर आरम्भ होगा।

काल के भेद (Kinds of Tense )

काल के तीन भेद होते हैं-

  • भूतकाल
  • वर्तमानकाल
  • भविष्यत्काल

भूतकाल – जो समय बीत चुका, उसे भूतकाल कहा जाता है। इस काल की मुख्य क्रिया में आ, ई,ए जुड़े रहते हैं। किसी समय पर वाक्यों के अन्त में था, थी, थीं, थे भी आते हैं। जैसे-

  • मैंने आपका पत्र पढ़ा था।
  • वह कल घर नहीं आया।
  • राम और शाम के साथ वीना नहीं गई।
  • कल हमने तीन मोर देखे थे।

याद रखने के लिए- था, थी, थीं, थे का प्रयोग केवल भूतकाल में ही होता है, किसी अन्य काल में नहीं।

वर्तमानकाल – जो समय अब चल रहा है, उसे वर्तमानकाल कहा जाता है। इस काल की क्रियाओं के साथ है, हैं, हो, हूँ जुड़े रहते हैं। जैसे-

  • मैं प्रतिदिन विद्यालय जाता हूँ।
  • वे अच्छी-अच्छी पुस्तकें पड़ते हैं।
  • बच्चे मिठाई खाना पसन्द करते हैं।
  • तुम वीर हो।

भविष्यत्काल – जो समय आगे आनेवाला है, उसे भविष्यत्काल कहते हैं। इस काल के वाक्यों की मुख्य क्रिया में गा, गे, गी जुड़े होते हैं। जैसे-

  • वह आज विद्यालय जाएगा।
  • हम तुम्हारी कहानी अवश्य सुनेंगे।
  • रवि की बहनें आज यहाँ आयेंगी।
  • कल हम तुम्हारे साथ चलेंगे।
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